सब्र हमसे करा लिया था तब
सब्र अब आपको करना पड़ेगा
ऐसी जल्दी भी क्या मुहोब्बत में
पास एक इम्तहान करना पड़ेगा
पहले कर लूँ यकीं कि है या नहीं
आपको प्यार इस दीवाने से
जैसे जलता रहा है वो अब तक
इश्क कि आग में जलना पड़ेगा
है मज़ा इश्क में तभी सुनिए
आग दोनों तरफ बराबर हो
जलके हो जाए ख़ाक परवाना
शम्मा को आग में गलना पड़ेगा
कैसे पूजा करूँगा मैं उसकी
जो अभी सिर्फ एक पत्थर है
होगी तकलीफ भी मगर उसको
मेरी मूरत में ही ढालना पड़ेगा
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पर्वतों से गीत ले, ले वादियों से रागिनी
निर्झर जब गाता चलता है
कल कल छल छल कि मधुर ध्वनि से
पत्थर ह्रदय पिघलता है