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मुझसे है गर

मुझसे है गर प्यार तुम्हें तो मेरे पास चले आओ
दिल में है इकरार तुम्हें तो, मेरे पास चले आओ
रुक नहीं सकता दीवाना प्यार की सुनकर पुकार
रुक नहीं सकता वो चाहे पथ में हों कांटे हज़ार
रुक नहीं सकता ज़माने के सितम के सामने
जिसको दीवाना बनाया आशिकी के नाम ने
मुझसे है गर प्यार.....................................
एक जन्म क्या सैकडों जन्मों सब्र करना पड़े तो
एक मृत्यु क्या हजारों मौत भी मरना पड़े तो
रोक पाया कौन दो अतृप्त रूहों का मिलन
जिनको दीवाना बनाया प्यार के एक जाम ने
मुझसे है गर प्यार.....................................
रुक नहीं सकती है राधा सुन मोहन की बांसुरी
रुक नहीं सकती हों पग में लाख जंजीरें पड़ीं
कब डराया है उसे प्यार के अंजाम ने
जिसको दीवाना बनाया कृष्ण के पैगाम ने
मुझसे है गर प्यार......................................
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मेरे गीतों की दुनिया में अनूठा गीत बनकर
मेरे स्वप्नों की दुनिया में अनूठा मीत बनकर
गए तुम ह्रदय का संगीत बनकर

1 टिप्पणियाँ:

kshama ने कहा…

"...एक क्या सैंकडो जन्म ...." काश ऐसा होता , और जिसकी चाहत है वो मिल पाता ...

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