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मेरा रोम रोम ..

मेरा रोम रोम मिलन का प्यासा
कब होगी पूरी अभिलाषा, मेरा रोम रोम.....

स्वप्नों में आई तरुणाई
इच्छाओं ने ली अंगडाई
भाव बुलाते आओ भाषा
मेरा रोम रोम......................

किस शब्द कोष में कहाँ लिखी हो?
किस कूची में कहाँ छिपी हो?
वीणा के तारों में सोई,
ध्वनि तुम्हें कर-स्पर्श जगाता
मेरा रोम रोम .................


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जाने कौन ज़माना हो कल, जाने कहाँ ठिकाना हो
मिलने को ना तरस जाएँ हम, आज ही हम से मिल जाओ
गर्ज नहीं हमसे गर कोई, बेशक कोई बहाना हो
मतलब तो है मिल जाने से, आज ही हमसे मिल जाओ



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वंदना हे !


वीणा वादिनी
वीणा का स्वर
राग-राग में भर दे
संगीतमय कर दे
माँ मेरा जीवन
दर्पण-सा
कलुषित मन
निर्मल कर दे!

वंदना हे!
वंदना का स्वर मुखर
नश्वर मगर
अमर कर दे
अजात शत्रु
अविजित
अन्तर प्रदीप्त कर दे
माँ वर दे

वंदना हे!
काम, क्रोध , मद , लोभ भूल
विद्या अपनाएँ
विद्यादात्री माँ
तुम्हारे दर्शन पायें
माँ यह लोक सत्य-शिव-सुंदर कर दे

वंदना गीत !

गीत कोई गा मुसाफिर रास्ता कट जाएगा
मुस्कुराता चल तू वर्ना , जल्द ही थक जाएगा
तू ना घबरा,तेरी मंजिल, दूर है तो क्या हुआ
धुंध का पर्दा है आगे, एक दिन हट जाएगा