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ना मुझे

ना मुझे किसी का है इंतज़ार
ना है दिल मेरा अब बेकरार ,
किसी के वास्ते
जो कभी मिले थे करीब से
वो बिछुड़ गए हैं नसीब से
हैं जुदा-जुदा अब रास्ते
क्या हुआ, कैसे हुआ
किसने इनको छुआ
टूटे वो रिश्ते सभी जो खास थे
अब तो केवल याद बाकी
रह गई दीदार की
गीत ही है अब निशानी
प्यार की
वक्त- शाम है
बैठे हैं हम
उदास से
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किसी के ख्यालों में ख़ुद को भुलाकर
मैं गाता हुआ कुछ कहे जा रहा हूँ
ये टूटा हुआ दिल ना शीशा बने फिर
मैं टुकडों के टुकड़े किए जा रहा हूँ

1 टिप्पणियाँ:

अर्चना तिवारी ने कहा…

ना मुझे किसी का है इंतज़ार
ना है दिल मेरा अब बेकरार

बहुत सुंदर..क्योंकि आप व्यस्त हैं..मस्त हैं..स्वस्थ्य हैं...dua है हमेशा रहें

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