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कोई ख्वाहिश

कोई ख्वाहिश, कोई उम्मीद, कुछ अरमान बाकी है
रहेगा कुछ कुछ बाक़ी, ये जब तक जान बाक़ी है
कोई ख्वाहिश.....................................................

हजारों मिल चुके ,बिछुडे हजारों, मुझ से मिल मिल कर
हजारों की मगर मुझ से अभी, पहचान बाकी है
कोई ख्वाहिश....................................................

कोई नगमा नया फूटेगा , दिल की वादियों में से
कोई तो ख्वाब सच होकर , हमारे सामने होगा
की सूने घर में आना,एक नया मेहमान बाक़ी है
कोई ख्वाहिश .................................................

सदा उसको कहाँ से दूँ , पुकारूँ मैं उसे कैसे
नज़र के सामने मेरे, कभी एक बार वो आए
मैं उसको जानता हूँ ,मुझसे जो अनजान बाकी है
कोई ख्वाहिश................................................
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कल्पना से भी मधुर तुम
और स्वप्न से तुम मधुरतम
तुम सत्य और समक्ष
क्या ये भी स्वप्न है.
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कुछ रोज़

कुछ रोज़ पिया से जुदा रही
और रहकर के अब जान गई हूँ
दर्द विरह का क्या होता है
नींद आँख से उड़ती है क्यूँ
बेचैनी शब् भर रहती है
करवट बदल-बदल कर व्याकुल
रात को प्रेमी क्यूँ रोता है
क्यूँ आती है याद किसी की
क्यूँ भाति है अदा किसी की
प्रेम की खातिर पागल प्रेमी
अपना सब कुछ क्यूँ खोता है
अपने पी के पास चलूंगी
अपने पी के के साथ चलूंगी
कोई रोके कोई टोके
होने दो अब जो होता है
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जब चांदनी धरती पे उतरी थी क्षितिज के छोर से
चाँद चुपके चुपके निकला बादलों की कोर से
एकांत में सहसा तुम्हारी याद मुझको गई
शीतल हवा भूला हुआ वह गीत फिर दोहरा गई
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मैं आ जाऊँगा....

जब तू मुझको याद करेगी
मिलने की फरियाद करेगी
तेरे दिल की पुकार सुनकर रुक ना पाऊंगा
मैं जाऊँगा.........................
जब तू मुझको........................

कभी स्वप्न में मुझे बुलाकर
बात करेगी मुझसे जी भर
कोई बात जब तुझे स्वप्न में ना कह पाऊंगा
मैं जाऊँगा...........................
जब तू मुझको........................

जब सखियों में बैठ अकेली
बात करेगी उनसे मेरी
तब शब्दों का रूप बना ये गीत सुनाऊंगा
मैं जाऊँगा.......................
जब तू मुझको........................


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गज़ब हुआ की तेरे लब पे मेरा नाम आया
सुकून दिल को मिला रूह को आराम आया
लम्हा भर को ही सही याद तो हमको किया
इस बहाने ही सही ये तेरा पैगाम आया