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मुझे कोई बुला रहा है

मुझे कोई बुला रहा है
स्वप्न जगत में दूर कहीं मैं खोया-खोया सा था
अज्ञात वास से आकर, मुझे जगाकर , कोई सुला रहा है
मुझे कोई बुला रहा है............
वियोग नहीं संयोग नहीं , हास नहीं परिहास नहीं
अंतर्मन में फूट पड़ी हैं किसकी यादें
अश्रु छलकते नहीं हैं फिर भी मुझे कोई रुला रहा है
मुझे कोई बुला रहा है...............
यह स्वर हीन संदेसा मैंने कैसे पाया नहीं जानता
इस झूले पर निज प्रयत्न से झूल रहा हूँ नहीं मानता
जीवन-मृत्यु के झूले पर मुझे कोई झुला रहा है
मुझे कोई बुला रहा है.........................
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गा ना सकूंगा आज मुझे क्षण भर रोने दो
आज व्यथित, स्वप्न बीच में टूट गया है
चलते चलते पथ का साथी छूट गया है
पा ना सकूंगा आज मुझे सब कुछ खोने दो
गा ना सकूंगा आज मुझे क्षण भर रोने दो
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मुझसे है गर

मुझसे है गर प्यार तुम्हें तो मेरे पास चले आओ
दिल में है इकरार तुम्हें तो, मेरे पास चले आओ
रुक नहीं सकता दीवाना प्यार की सुनकर पुकार
रुक नहीं सकता वो चाहे पथ में हों कांटे हज़ार
रुक नहीं सकता ज़माने के सितम के सामने
जिसको दीवाना बनाया आशिकी के नाम ने
मुझसे है गर प्यार.....................................
एक जन्म क्या सैकडों जन्मों सब्र करना पड़े तो
एक मृत्यु क्या हजारों मौत भी मरना पड़े तो
रोक पाया कौन दो अतृप्त रूहों का मिलन
जिनको दीवाना बनाया प्यार के एक जाम ने
मुझसे है गर प्यार.....................................
रुक नहीं सकती है राधा सुन मोहन की बांसुरी
रुक नहीं सकती हों पग में लाख जंजीरें पड़ीं
कब डराया है उसे प्यार के अंजाम ने
जिसको दीवाना बनाया कृष्ण के पैगाम ने
मुझसे है गर प्यार......................................
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मेरे गीतों की दुनिया में अनूठा गीत बनकर
मेरे स्वप्नों की दुनिया में अनूठा मीत बनकर
गए तुम ह्रदय का संगीत बनकर
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कुछ तो कर

कुछ तो कर ऐसा खुदाया उनके साथ
डर के वो आ जाएँ मेरी बांहों में
राह भटका दे उन्हें वो भूल से
ख़ुद-ब-ख़ुद आ जाएँ मेरी राहों में

कुछ तो कर..............................

चलते चलते रुक रहे उनके कदम
लग रही है मेहंदी उनके पाँव में
पांवों में उनके ना छले पड़ सकें
आने देना उनको ठंडी छाओं में

कुछ तो कर..........................

उनका पत्थर दिल पिघल जाए खुदा
भर असर ऐसा मेरी भी आहों में
फूल बरसायें बहारें झूमकर
जश्न हो जाए मेरे भी गाँव में

कुछ तो कर.............................


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जाने कौन ज़माना हो कल, जाने कहाँ ठिकाना हो
मिलने को ना तरस जाएँ हम आज ही हमसे मिल जाओ
गर्ज़ नहीं हमसे ग़र कोई बेशक कोई बहाना हो
मतलब तो है मिल जाने से आज ही हमसे मिल जाओ


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भूल जा

तुझे किसी से प्यार हुआ था भूल जा
आंखों से आंसू मत बरसा
आंखों ने ही उसे छुआ था भूल जा
यही सोच ले स्वप्न एक था टूट गया
एक परदेसी तुझको पथ में लूट गया
उस पथ में मत जा
जिसमें उसका दीदार हुआ था, भूल जा
अब उसकी यादों का निशान मिटा दे तू
अब अपने सपनों को नै जुबान दे तू
मत देख स्वप्न वो
जिस पर वज्र प्रहार हुआ था, भूल जा
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पास आकर भी पास ना सके
हाल--दिल आपको सुना सके
मुस्कुराने की बात क्या कीजे
अश्क पलकों से एक गिरा ना सके
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ना मुझे

ना मुझे किसी का है इंतज़ार
ना है दिल मेरा अब बेकरार ,
किसी के वास्ते
जो कभी मिले थे करीब से
वो बिछुड़ गए हैं नसीब से
हैं जुदा-जुदा अब रास्ते
क्या हुआ, कैसे हुआ
किसने इनको छुआ
टूटे वो रिश्ते सभी जो खास थे
अब तो केवल याद बाकी
रह गई दीदार की
गीत ही है अब निशानी
प्यार की
वक्त- शाम है
बैठे हैं हम
उदास से
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किसी के ख्यालों में ख़ुद को भुलाकर
मैं गाता हुआ कुछ कहे जा रहा हूँ
ये टूटा हुआ दिल ना शीशा बने फिर
मैं टुकडों के टुकड़े किए जा रहा हूँ
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किसे खोजता हूँ?

किसे खोजता हूँ मैं कबसे भटकता
किसके लिए मेरा दिल है दीवाना
कहाँ खो गई वो कहाँ से बिछुड़ कर
है ये राज़ अब तक जो मैंने ना जाना
वादा किसी से कभी कुछ किया था
अब भी है चाहत उसी से मिलन की
निभाया है हमने तो अपना ये वादा
उसको भी है अपना वादा निभाना
बहुत देर कर दी कहाँ छिप गई वो
प्रतीक्षा में हमने तो बरसों बिताये
मिलेंगे उसी से गँवा कर ये जाँ भी
मिलने ना दे हमको चाहे ज़माना
कभी कल्पना में कभी ख्वाब बनकर
वो आई मेरी जिंदगी में हमेशा
इसी आस पर जी रहा हूँ अभी तक
वो अब रही है उसे अब है आना
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कच्चे धागे से बंधे चले आयेंगे हुज़ूर कच्चे धागे से
प्यार के नशे में चले आयेंगे हुज़ूर भागे-भागे से
ये प्यार का बंधन है ना तोड़ सका कोई
इस बहते दरिया को ना मोड़ सका कोई
एक बार प्यार करके ना छोड़ सका कोई
नींद उड़ जायेगी , तब आयेंगे हुज़ूर जागे जागे से
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ना ख्वाहिश

ना ख्वाहिश ना कोई उम्मीद ना अरमान बाकी है
सभी कुछ लुट चुका अपना , फ़क़त अब जान बाकी है
ना मिलने की तमन्ना है मिले क्यूँ कोई मुझसे
बचा है क्या हमारे पास क्यूँ पहचान बाकी है
ना ख्वाहिश.................................................
कोई तारा नया किस्मत का टूटेगा ये ज़ाहिर है
नया एक ख्वाब चकनाचूर होकर खाक में होगा
मुहोब्बत के लिए कोई नया बलिदान बाकी है
ना ख्वाहिश................................................
किसको सदा दूँ ? कौन आएगा कहाँ से अब?
मेरे टूटे हुए दिल को यहाँ पर कौन जोडेगा
धड़कते दिल का हो जाना, अभी बेजान बाकी है
ना ख्वाहिश.................................................
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कभी तो बहार आएगी इस चमन में
कभी तो घटा छायेगी इस गगन में
कभी तो महक आएगी इस पवन में
कभी चेतना आएगी इस कफ़न में
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क्यों आते नहीं?

दिल को दिल के पास क्यूँ लाते नहीं?
क्या वजह है आप क्यूँ आते नहीं?
तनहा मैं बैठा तुम्हारी राह मैं
कब से जाने कर रहा हूँ इंतज़ार
बैठा रहूँ कब तक क्यूँ बतलाते नहीं?
दिल को...........
डर शर्म है या वजह कुछ और है
या हमारे प्यार पर शक है तुम्हें
इम्तिहान ले लो कसम खाते नहीं
दिल को ......................................
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चले आओ चले आओ तुम्हें दिल ने पुकारा है
बहुत रंगीन मौसम है बड़ा दिलकश नज़ारा है
चले आओ कहीं भी हो मेरी आवाज़ को सुनकर
चले आओ कहीं भी हो कोई भी रास्ता चुनकर
चले आओ मेरा ये गीत ही मेरा इशारा है