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नजराना समझिये हमको

देखिये और ना बेगाना समझिये हमको
प्यार से देखिये , दीवाना समझिये हमको

हमसे अब छोड़ भी दो शर्म-ओ-हया जान-ए-जिगर
शम्मां हैं आप तो परवाना समझिये हमको

जो सुराही के लिए छान रहा मैखाने
प्यासा भटका हुआ पैमाना समझिये हमको

जिसको अल्लाह ने भेजा है तुम्हारी खातिर
वो ही नाचीज़ सा नजराना समझिये हमको

जिसमें राधा का कन्हैया से मिलन होता है
उससे मिलता हुआ अफसाना समझिये हमको


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तस्वीर तेरी दिल में छुपाये हुए हैं  हम
अरसे से तुझको अपना बनाए हुए हैं हम
नज़रें उठा के तू कभी देखेगी इस तरफ
बरसों से यही आस लगाए हुए हैं हम
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