कोई ख्वाहिश, कोई उम्मीद, कुछ अरमान बाकी है
रहेगा कुछ न कुछ बाक़ी, ये जब तक जान बाक़ी है
कोई ख्वाहिश.....................................................
हजारों मिल चुके ,बिछुडे हजारों, मुझ से मिल मिल कर
हजारों की मगर मुझ से अभी, पहचान बाकी है
कोई ख्वाहिश....................................................
कोई नगमा नया फूटेगा , दिल की वादियों में से
कोई तो ख्वाब सच होकर , हमारे सामने होगा
की सूने घर में आना,एक नया मेहमान बाक़ी है
कोई ख्वाहिश .................................................
सदा उसको कहाँ से दूँ , पुकारूँ मैं उसे कैसे
नज़र के सामने मेरे, कभी एक बार वो आए
मैं उसको जानता हूँ ,मुझसे जो अनजान बाकी है
कोई ख्वाहिश................................................
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कल्पना से भी मधुर तुम
और स्वप्न से तुम मधुरतम
तुम सत्य और समक्ष
क्या ये भी स्वप्न है.
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