दिल को दिल के पास क्यूँ लाते नहीं?
क्या वजह है आप क्यूँ आते नहीं?
तनहा मैं बैठा तुम्हारी राह मैं
कब से न जाने कर रहा हूँ इंतज़ार
बैठा रहूँ कब तक क्यूँ बतलाते नहीं?
दिल को...........
डर शर्म है या वजह कुछ और है
या हमारे प्यार पर शक है तुम्हें
इम्तिहान ले लो कसम खाते नहीं
दिल को ......................................
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चले आओ चले आओ तुम्हें दिल ने पुकारा है
बहुत रंगीन मौसम है बड़ा दिलकश नज़ारा है
चले आओ कहीं भी हो मेरी आवाज़ को सुनकर
चले आओ कहीं भी हो कोई भी रास्ता चुनकर
चले आओ मेरा ये गीत ही मेरा इशारा है
2 टिप्पणियाँ:
सुंदर रचना ...बहुत खूब
डर शर्म है या वजह कुछ और है
या हमारे प्यार पर शक है तुम्हें
इम्तिहान ले लो कसम खाते नहीं
इम्तिहान .....??
स्वप्न जी कहीं तारे तोड़ कर लाने को न कह दे .....!!
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