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ना ख्वाहिश

ना ख्वाहिश ना कोई उम्मीद ना अरमान बाकी है
सभी कुछ लुट चुका अपना , फ़क़त अब जान बाकी है
ना मिलने की तमन्ना है मिले क्यूँ कोई मुझसे
बचा है क्या हमारे पास क्यूँ पहचान बाकी है
ना ख्वाहिश.................................................
कोई तारा नया किस्मत का टूटेगा ये ज़ाहिर है
नया एक ख्वाब चकनाचूर होकर खाक में होगा
मुहोब्बत के लिए कोई नया बलिदान बाकी है
ना ख्वाहिश................................................
किसको सदा दूँ ? कौन आएगा कहाँ से अब?
मेरे टूटे हुए दिल को यहाँ पर कौन जोडेगा
धड़कते दिल का हो जाना, अभी बेजान बाकी है
ना ख्वाहिश.................................................
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कभी तो बहार आएगी इस चमन में
कभी तो घटा छायेगी इस गगन में
कभी तो महक आएगी इस पवन में
कभी चेतना आएगी इस कफ़न में

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