मैं भंवरा हूँ डाल-डाल मंडराना मेरी आदत है
मैं निर्मोही कलियों को तडपाना मेरी आदत है
मैं बंजारा गीत रसीले गाना मेरी आदत है
चंचल मन मैं वन में शोर मचाना मेरी आदत है
मैं भंवरा हूँ..........................................
तुम क्या जानो खोज रहा हूँ मैं किस को सूने मधुवन में
खोजना उसे, न पा, आगे बढ़ जाना मेरी आदत है
रुक जाऊँगा वहीँ जहाँ कमलिनी मुझे मिल जायेगी
कलि देख कर जिसे ह्रदय की कलि मेरी खिल जायेगी
मैं भंवरा हूँ.............................................
रुक जाऊँगा वहीँ जहाँ देखूँगा अपना प्यार छिपा
दे दूँगा , दुनिया से जो दिल रखा मैंने छिपा-छिपा
बंधन भाता नहीं मुझे, जग के सब बंधन तोड़ तोड़
उड़ जाना , कमल क्रोड़ में जा सो जाना मेरी आदत है
मैं भंवरा हूँ...............................................
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क्या जाने अली कौन कली पर उसका दिल आ जाए
आवारा मधुकर को जाने कौन रूप भा जाए
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