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एक दिन

रह ना सकोगे दूर ह्रदय से तुम कितनी भी दूर रहो
पास नहीं आते ना आओ , बेशक यूँ मगरूर रहो

एक दिन तो तुम्हें मेरी भी याद सताएगी
बैठोगे अगर तनहा तो तुमको रुलाएगी . एक दिन............

वो बीते हुए लम्हे जो साथ मेरे गुजरे
ख़्वाबों की शकल लेकर, पलकों में समायेंगे
वो प्यार भरे नगमे जो साथ मेरे गाये
दे दे के सदा तुमको नींदों सर जगायेंगे
जब चांदनी सीने में एक आग लगायेगी. एक दिन...............

जब रात यूँही सारी पलकों में गुजारोगे
बहते हुए अश्कों को आँचल में उतारोगे
कुछ बोल ना पाओगे पर दिल से सदा देकर
मौन की भाषा में फिर मुझको पुकारोगे
तब रूह मेरी तुमको , सीने से लगायेगी
एक दिन........................................................

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किसी के ख्यालों में खुद को भुलाकर
मैं गाता हुआ कुछ कहे जा रहा हूँ
ये टूटा हुआ दिल ना शीशा बने फिर
मैं टुकडों के टुकड़े किये जा रहा हूँ.




4 टिप्पणियाँ:

निर्मला कपिला ने कहा…

किसी के ख्यालों में खुद को भुलाकर
मैं गाता हुआ कुछ कहे जा रहा हूँ
ये टूटा हुआ दिल ना शीशा बने फिर
मैं टुकडों के टुकड़े किये जा रहा हूँ.
ba
हुत मार्मिक अभिव्यक्ति है।पूरी रचना बहुत अच्छी है।किछ यादें कुछ शिकवे शिकायत बहुत सुन्दर शब्दों मे किये हैं । शुभकामनायें

girish pankaj ने कहा…

aap chhandanuragee hai. badhaee.... chhand ek sadhana hai. nirantar abhyas se safalta mil jatee hai. aap ke geet bhee dheere-dheere aur behatar hote jayenge. inme prabal sambhavana hi.isee tarah likhte rahe, shubhkamnayen...

vandana gupta ने कहा…

sundar rachna..........badhayi

ज्योति सिंह ने कहा…

किसी के ख्यालों में खुद को भुलाकर
मैं गाता हुआ कुछ कहे जा रहा हूँ
ये टूटा हुआ दिल ना शीशा बने फिर
मैं टुकडों के टुकड़े किये जा रहा हूँ.
bahut hi sundar rachna hai .

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