एक प्यार के सवाल पर, घबरा गए क्यूँ तुम
नज़रें उठा के देखिये शर्मा गए क्यूँ तुम
दांतों में होंठ भींच गए, चेहरा हुआ गुलाल
ऐसा भी क्या सवाल था भरमा गए क्यूँ तुम
एक प्यार के.............................................
लो छोड़ दिया हमने सवालात पूछना
करे तुमको परेशां जो ऐसी बात पूछना
लेकिन है एक सवाल अगर दे सको जवाब
मेरे दिल-ओ-दिमाग पर यूँ छा गए क्यूँ तुम
एक प्यार के........................................
पहली नज़र में कर लिया था आपको पसंद
पहले सवाल पर लिखा है आप पर ये छंद
वो हुस्न था शबाब था या सादगी या शर्म
थी कौन सी अदा वो मुझे भा गए क्यूँ तुम
एक प्यार के.....................................
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मेरी मधुर कल्पना की उड़ान का गान प्राण तुम हो
मेरे मृदु सपनों की अजान मूर्तिमान प्राण तुम हो
तुम सहगामिनी मेरे जीवन पथ की जगती पर
जो संजो रखा था मैंने एक अरमान प्राण तुम हो
3 टिप्पणियाँ:
मेरी मधुर कल्पना की उड़ान का गान प्राण तुम हो
मेरे मृदु सपनों की अजान मूर्तिमान प्राण तुम हो
तुम सहगामिनी मेरे जीवन पथ की जगती पर
जो संजो रखा था मैंने एक अरमान प्राण तुम हो.
ati sundar .
bahut hi sunder likha hai
aapne
sanjay
haryana
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
sunder nice
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WELCOME