आह भर-भर के तुझे याद किया करता हूँ
तुझसे मिलने की सदा फरियाद किया करता हूँ
तोड़ना दिल को किसी के नहीं अच्छा होता
जाम भर-भर के सदा अश्क पिया करता हूँ
मेरी दुनिया में चले आओ हकीकत बनकर
अपने ख़्वाबों में तुझे आवाज़ दिया करता हूँ
कैसे पायेगी मेरी रूह मेरे बाद सुकून
तुझको पाने की तमन्ना लिए गर मर जाऊं
****************************
तेरे ख़याल को दिल से भुला नहीं सकता
सदायें देके भी तुझको बुला नहीं सकता
वफ़ा की राह में मजबूर इस कदर हूँ मैं
यकीं वफ़ा का भी अपनी दिला नहीं सकता
तुझसे मिलने की सदा फरियाद किया करता हूँ
तोड़ना दिल को किसी के नहीं अच्छा होता
जाम भर-भर के सदा अश्क पिया करता हूँ
मेरी दुनिया में चले आओ हकीकत बनकर
अपने ख़्वाबों में तुझे आवाज़ दिया करता हूँ
कैसे पायेगी मेरी रूह मेरे बाद सुकून
तुझको पाने की तमन्ना लिए गर मर जाऊं
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तेरे ख़याल को दिल से भुला नहीं सकता
सदायें देके भी तुझको बुला नहीं सकता
वफ़ा की राह में मजबूर इस कदर हूँ मैं
यकीं वफ़ा का भी अपनी दिला नहीं सकता
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