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मेरा रोम रोम ..

मेरा रोम रोम मिलन का प्यासा
कब होगी पूरी अभिलाषा, मेरा रोम रोम.....

स्वप्नों में आई तरुणाई
इच्छाओं ने ली अंगडाई
भाव बुलाते आओ भाषा
मेरा रोम रोम......................

किस शब्द कोष में कहाँ लिखी हो?
किस कूची में कहाँ छिपी हो?
वीणा के तारों में सोई,
ध्वनि तुम्हें कर-स्पर्श जगाता
मेरा रोम रोम .................


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जाने कौन ज़माना हो कल, जाने कहाँ ठिकाना हो
मिलने को ना तरस जाएँ हम, आज ही हम से मिल जाओ
गर्ज नहीं हमसे गर कोई, बेशक कोई बहाना हो
मतलब तो है मिल जाने से, आज ही हमसे मिल जाओ



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