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याद

याद याद बस, याद याद बस, याद याद बस याद
दिल में तेरी याद और है लब पर ये फरियाद

घर दफ्तर में और सफ़र में
हर पल  तू ही तू है नज़र में
चली गई तू मगर  गई ना
दिल से तेरी याद .          याद याद .....................

दिल उजड़ा है घर उजड़ा है
धरती और अम्बर उजड़ा है
उजड़ा मेरा जहाँ, कहाँ तक
होगा ये बर्बाद.             याद याद.......................

थक गया सदायें दे देकर
तुझे मन मन कर मैं हारा
पिघला नहीं अभी तक तेरा
दिल है या फौलाद .     याद याद.........................

दीवाना हो गया तेरा
परवाना हो गया तेरा
तन-मन मेरा फूँक दे मुझको
कर दे अब आज़ाद...............याद याद.............

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तेरे ख़याल को दिल से भुला नहीं सकता
सदायें दे के भी तुझको बुला नहीं सकता
वफ़ा की राह में मजबूर इस कदर हूँ मैं
यकीं वफ़ा का भी अपनी दिला नहीं सकता


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3 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

तेरे ख़याल को दिल से भुला नहीं सकता
सदायें दे के भी तुझको बुला नहीं सकता
वफ़ा की राह में मजबूर इस कदर हूँ मैं
यकीं वफ़ा का भी अपनी दिला नहीं सकता

waah .........bahut badhiya .

शरद कोकास ने कहा…

भई इतना याद करने से तो बेहतर है जाकर मिल लेना ।

निर्मला कपिला ने कहा…

याद याद बस, याद याद बस, याद याद बस याद
दिल में तेरी याद और है लब पर ये फरियाद
वाह स्वपन जी बहुत सुन्दर गीत है। ये यादें ऐसी ही होती हैं शुभकामनायें

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