इस रचना के साथ ही "तुम्हारे लिए" पुस्तक सम्पूर्ण हुई.
उपहार
उपहार
मैं कैसे मनाऊँजनम दिन तुम्हारा?
जनम दिन तुम्हारा ये शुभ दिन तुम्हारा, मैं कैसे..............
ये शुभ कामनाएं तुम्हें किस तरह दूँ?
हज़ारों दुआएं तुम्हें किस तरह दूँ?
कैसे दूँ तुमको ये उपहार प्यारा? मैं कैसे.............
यही कामना है सदा खुश रहो तुम
जीवन के सुख दुःख को हँस कर सहो तुम
संसार सागर में पाओ किनारा. मैं कैसे..............
ये शब्दों के मोती तुम्हारे लिए हैं
स्वप्न-भेंट छोटी तुम्हारे लिए है
तुम्हारे लिए है ये जीवन हमारा. मैं कैसे..............
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2 टिप्पणियाँ:
fir bahi bhakti ki ganga...? badhai.aapko, iss ars k liye.
bahut sundar...............
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