याचना
तुम्हारी आवाज़ को मैंने
अपने अंतर्मन में सुना
तुम्हारी तस्वीर को अंतर्दृष्टि से देखा
फिर भी मैं तुम्हें न पहचान सका
जीवन के प्रारंभ से पहले
मैं तुमसे मिला था
जब मैं तुमसे बिछुड़ कर मनु बन गया था
पहचानता भी कैसे
आज युगों बाद
मैं अपनी दृष्टि भी तो खो चुका था
लेकिन तुम्हारी आवाज़
कुछ जानी पहचानी सी लगी
क्यूंकि मुझे याद है
तुम्हारी ही आवाज़
मेरे अंतर्मन तक पहुँच सकती थी
लेकिन तुमने मेरी दृष्टि क्यूँ छीन ली
मुझे मेरी वही दृष्टि दान दो
मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ
तुम्हें पहचानना चाहता हूँ
कि तुम वही हो या नहीं
जिसे मैं खोज रहा हूँ युगों से
पा रहा हूँ युगों से,
खो रहा हूँ युगों से .
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