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कितनी पी है.............

कितनी पी है जनाब मत पूछो
अब भी जीवन में प्यास है बाकी
दिल मेरा तूने कितना बहलाया
दिल तो अब भी उदास है साकी

अब भी कोई कमी है जीवन में
गम मेरे आस पास है साकी
गम मुझे जान से भी प्यारा है
गम में कोई मिठास है साकी

यूँ तो कोई नहीं है पास मेरे
पर कोई दिल के पास है साकी
किसकी आती है याद रह रह कर
इसकी क्या वजह ख़ास है साकी

किसको मैं ढूंढता हूँ ख़्वाबों में
मुझको किसकी तलाश है साकी
कब हकीकत में ख्वाब बदलेगा
मुझको अब भी क्यूँ आस है साकी

कितनी पी है................


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आज कैसे रोक पाऊंगा प्रिये
अपनी  जुबाँ  को
आज गाना चाहता है दिल
कोई गम का तराना.


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6 टिप्पणियाँ:

करण समस्तीपुरी ने कहा…

यूँ तो कोई नहीं है पास मेरे

पर कोई दिल के पास है साकी

किसकी आती है याद रह रह कर

इसकी क्या वजह ख़ास है साकी.......

ati sundar

निर्मला कपिला ने कहा…

किसको मैं ढूंढता हूँ ख़्वाबों में
मुझको किसकी तलाश है साकी
कब हकीकत में ख्वाब बदलेगा
मुझको अब भी क्यूँ आस है साकी

कितनी पी है................
स्वपन जी पूरी रचना ही लाजवाब है । आपकी हर रचना दिल को छू लेती है । बहुत बहुत शुभकामनायें

निर्झर'नीर ने कहा…

bejod adaygii
bhaav or dhara pravaah bahut sundar raha ..

daad kubool karen

किसको मैं ढूंढता हूँ ख़्वाबों में
मुझको किसकी तलाश है साकी
कब हकीकत में ख्वाब बदलेगा
मुझको अब भी क्यूँ आस है साकी

अजय कुमार ने कहा…

कितनी पी है जनाब मत पूछो

अब भी जीवन में प्यास है बाकी

य्रे प्यास बनाये रहिये

Rohit Jain ने कहा…

ek achchhi rachna ke liye shukriya..

Pawan Kumar ने कहा…

आज कैसे रोक पाऊंगा प्रिये

अपनी जुबाँ को

आज गाना चाहता है दिल

कोई गम का तराना.
बहुत सुन्दर मन को छु गयी ये पंक्तियाँ

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