मुझको जानोगे तुम मेरे जाने के बाद
पहचानोगे तुम खो जाने के बाद
है हकीकत यही के भरोसा नहीं
तुमको मुझपर मेरे प्यार की बात पर
तुम ना मानो तुम्हारी है जिद गर यही
मेरी मानोगे तुम मेरे जाने के बाद
मुझको जानो.........................
मुझको ढूंढोगे गलियों में बाज़ार में
मुझको ढूंढोगे सपनों के संसार में
हाँ इसी बेरुखी की कसम है तुम्हें
ख़ाक छानोगे तुम मेरे जाने के बाद
मुझको जानो.......................
मेरे नज़दीक से मुझसे नज़रें चुरा
जा रहे हो किसी अजनबी की तरह
मेरी बाहों में आने की एक दिन मगर
दिल में थानोगे तुम मेरे जाने के बाद
मुझको जानो............................
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पास आकर भी पास आ ना सके
हाल-ए-दिल आपको सुना ना सके
मुस्कुराने की बात क्या कीजे
अश्क पलकों से एक गिरा ना सके
4 टिप्पणियाँ:
मुझको जानोगे तुम मेरे जाने के बाद
पहचानोगे तुम खो जाने के बाद
सच है न होने पर ही अहमियत पता चलती है
मन के भावों की सुदर अभिव्यक्ति।
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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति शुभकामनायें
पास आकर भी पास आ ना सके
हाल-ए-दिल आपको सुना ना सके
मुस्कुराने की बात क्या कीजे
अश्क पलकों से एक गिरा ना सके
bahut sahi baat aur sundar abhivyakti
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WELCOME